BA Semester-5 Paper-2 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 4
मेवाड़ स्कूल :
उदयपुर, रागमाला पेंटिंग

Mewar School :
Udaipur,
Ragmala Paintings

प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मेवाड़ शैली का प्राचीनतम चित्र कौन-सा है?
2. मेवाड़ शैली के रागमाला चित्र किससे संबंधित हैं?

उत्तर -

राजस्थान शैली में मेवाड़ शैली का स्थान विशेष माना जाता है। इस शैली की सबसे प्राचीन चित्रों की कृति 'रूपासनाचर्यम' है, जिसका लिपिकाल 1423 ई. है । सर्वप्रथम इसका उल्लेख 'विजयवल्लभ सूरी स्मारक ग्रन्थ ' ( पृष्ठ 176) बम्बई में 1956 ई. में हुआ जो दक्षिण शैली से प्रभावित है। कुछ विद्वानों ने इसे गुजरात व जैन शैली का मिश्रण बताया है परन्तु यह राजस्थान व गुजरात शैली से प्रभावित है। ग्रामीणों के अभाव के कारण 16वीं शताब्दी में मेवाड़ की सही स्थिति जानना कठिन था। इसलिए श्री आनन्द कुमार स्वामी ने इस शैली को श्री नाथ जी के मन्दिर की असुन्दर तथा अस्पष्ट कृतियों तक ही समझा परन्तु नये-नये चित्रों की प्राप्ति के बाद आनन्द कुमार स्वामी का निर्णय कुछ फीका पड़ गया है। डॉ. मोतीचन्द के अनुसार उदयपुर ही मेवाड़ शैली का मुख्य केन्द्र था, नाथ द्वार नहीं ।

मेवाड़ शैली की विशेषताएँ

1. रंग योजना - रंगों को बहुत सतर्कता से प्रयोग किया गया है। मुख्य रंग पीला, लाल या जोगिया है, परन्तु पार्श्व में विभिन्न रंगों का प्रयोग है। इनकी एक-एक प्रति है । इसके कुछ सचित्र पृष्ठ राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में भी सुरक्षित हैं।

चित्तौड़ के कलाकार मनोहर द्वारा रचित रामायण की एक सचित्र प्रति भी प्राप्य है जो कि 1649 में बनी। इससे रामायण की लोकप्रियता का ज्ञान होता है। यह सचित्र ग्रन्थ प्रिन्स ऑफ वेल्स म्यूजियम बम्बई में सुरक्षित है।

2. रागमाला के चित्र - इस शैली में रागमाला के चित्रों की भी रचना हुई । यही की एक रागमाला चित्रावली दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में है जो बहुत सुन्दर है। इसमें रागों का व्यक्तित्व करके सुन्दर चित्रण किया गया है।

3. रामचन्द्रिका तथा रसिक प्रिया का चित्रण - रामचन्द्रिका तथा रसिक प्रिया का. बहुत सुन्दर चित्रण इस शैली में हुआ है।

4. राधा - कृष्ण का चित्रण - राधा कृष्ण के चित्र भी बहुत प्रचुरता से इस शैली में बने । 'गीत गोविन्द' पर आधारित बहुत से सुन्दर चित्र इस शैली में बने हैं जो प्रिन्स ऑफ वेल्स म्यूजियम में सुरक्षित हैं। जगत सिंह प्रथम के समय 'सूर सागर' पर भी चित्र बने । डॉ मोती चन्द्र के अनुसार इन चित्रों में मुगल शैली का प्रभाव परिलक्षित होता है ।

5. नायक-नायिका भेद - नायक-नायिका भेद भी यहाँ के चित्रकारों का प्रमुख विषय रहा हैं

6. दरबार के चित्र - दरबारी जीवन को भी वहाँ के चितेरों ने बहुत सुन्दरता से चित्रित किया है।

7. लोक जीवन का चित्रण - लोक जीवन का चित्रण भी बहुत सुन्दर हुआ है जिसमे विवाह आदि को विचित्र किया गया है।

8. युद्ध चित्रण - युद्ध भी बड़ी सुचारुता से वहाँ के चित्रकारों ने बनाये है।

9. महलों का चित्रण - अधिकतर चित्रों में महलों का चित्रण है। पृष्ठभूमि में भी गुम्बरददार महल आदि बहुत सुन्दर बने हैं।

10. पशु-पक्षियों का चित्रण - बाद में चित्रों में हाथी, घोड़े, कुत्ते आदि के चित्र यूरोपियन प्रभाव बने ।

11. बारहमासा के चित्र - बारहमासा का चित्रण भी इस शैली में 12. पंच - तन्त्र - पंच तन्त्र भी यहाँ के चित्रकारों का विषय रहा है। इस सन्दर्भ में बहुत से चित्र मिले हैं।

13. अन्य ग्रन्थों पर चित्र - पृथ्वीराज रासो तथा दुर्गा महात्म्य आदि पर भी यहाँ के चित्रकारों ने चित्रों की रचना की है।

18वीं व 19वीं शताब्दी में चित्र बहुत निम्न कोटि के बने। इसके बाद कोई उल्लेखनीय चित्रों की रचना नहीं हुई है।

14. प्रकृति चित्रण - मेवाड़ शैली में प्रकृति चित्रण बड़ा सुन्दर हुआ है। विभिन्न प्रकार के पेड़, पुष्पों से लदे पेड़ पर्वतों के चित्र, जल धाराओं के चित्र आदि सभी इस शैली के चित्रों में मिलते है।

15. दृश्य चित्र - दृश्य चित्र बहुत ही सुन्दर हैं। इनमें विभिन्न ऋतुओं में दृश्यों का चित्रण मिलता है।

16. संयोजित चित्र - चित्रों का संयोजन इस प्रकार किया गया है कि मुख्य बात पहले उभर कर दृष्टिगोचर होती है।

17. पशु-पक्षी चित्रण - पशु-पक्षी चित्रण इस शैली में बहुत भावुक तथा सुन्दर है। उसका कारण मुगल शैली का प्रभाव है। प्रारम्भ में चित्रों में पशु-पक्षी का चित्रण बहुत अच्छा नहीं है। इसका कारण यह है कि प्रारम्भ में मुगल प्रभाव इस शैली पर बिल्कुल नहीं था बाद में धीरे-धीरे आया। इसमें हाथी, घोड़ों का विशेष चित्रण है।

18. मानवाकृतियाँ - मानवाकृतियों में इस शैली में नाक नुकीली व लम्बी है। गोल चेहरे हैं। मछली के समान नेत्र हैं तथा पुरुष व स्त्रियों का कुछ छोटे कद का बनाया है।

19. रात्रि के दृश्य - रात्रि के दृश्य बहुत रोचक हैं जिसमें आकाश काले या गहरे धुयें के रंग का बना है और उसमें चाँद, तारे सफेद रंग के बड़े भव्य बने हैं।

20. पोशाकों का चित्रण - पुरुषों की पोशाक का जामा, पटका कड़ा हुआ तथा पगड़ियाँ हैं। स्त्रियों का चित्रण चोली पहने हुये तथा फूल-पत्तियों से कड़े वस्त्र पहने हुये हुआ है जिनमें पारदर्शी ओढ़नियाँ बाहों तथा हाथों में काले रंग के धागे दिखाई देते हैं। फूल-पत्ते बहुत निम्न स्तर के हैं तथा लोक कला से प्रेरित हैं।

21. वास्तु चित्रण - वास्तु या भवनों के चित्रण में जहाँगीर कालीन शैली का अनुकरण मिलता है। मकानों पर गुम्बदों का चित्रण है, बड़े चबूतरे, मुण्डेर तथा बुर्ज भी चित्रित हैं।

22. धार्मिक चित्रण - रामायण, भागवत आदि ग्रन्थों पर आधारित धार्मिक चित्रों का इस शैली में अच्छा चित्रण हुआ है।

23. श्रृंगारिक चित्र - नायक-नायिका भेद व 'रागमाला' चित्रों में तथा कृष्ण गोपियों की लीलाओं में श्रृंगार रस का चित्रण इस शैली में उल्लेखनीय है।

24. लोक कला का प्रभाव - मेवाड़ शैली मे लोक कला प्रमुख रूप से उभर कर आयी है जिसमें बाह्य प्रभाव बिल्कुल दिखायी नहीं देता। मुगल शैली का प्रभाव बहुत बाद के चित्रों में कहीं-कहीं दिखायी देता है।

25. जन सामान्य का चित्रण - इन विशेषताओं के अलावा मेवाड़ के चित्रकारों ने जन-सामान्य का चित्रण जिसमें विवाह, जुलूस, नृत्य व संगीत तथा ग्राम्य जीवन आदि हैं, का विशेष चित्रण किया है।

26. रागमाला - राग-रागनियों का बहुत सुन्दर चित्रण इस शैली में हुआ। विभिन्न राग-रागनियों का व्यक्तिकरण करके बड़ी चारुता से चित्रित करने का प्रयास मेवाड़ के चित्रकारों ने किया है जो कि प्रशंसा के पात्र हैं।

यह कला शास्त्रीय दृष्टि से चरमोन्नति को तो न पहुँच सकी परन्तु फिर भी इस शैली को आलंकारिकता तथा संयोजन उल्लेखनीय हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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